यह मामला इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना क्रमांक 94 ED का हैं , जिसमे कुछ सरकारी अधिकारियों को पास में बसी हुई बस्ती ओर उसमे रहने वाले गरीब लोगों से इतनी घृणा हो गयी कि उन्होंने ना नियम देखें ना क़ानून सीधे उन गरीबों के आने जाने के रास्ते मे लोहे के गेट लगवा दिए और साफ़ कह दिया कि यहाँ से बस्ती वालो का निकलना आज से बंद किया जाता हैं। कई बार इस मामले को लेकर स्थानीय लोगो ने आपत्ति भी जताई लेकिन रसूखदारों के सामने उन गरीबों की एक नहीं चली इसके उलट अंदर करवाने की धमकी भी उनके द्वारा दी गयी जो ख़ुद अवैध कामो में लिप्त हैं।
योजना क्रमांक 94 ED के पीछे की तरफ गरीब मजदूरो की बस्ती हैं , वही नोबल पब्लिक स्कूल जिसके पास से लगी हुई सड़क जो स्कीम 94 में आती हैं , वही से मुमताज़ बाग , वक्रतुंड नगर , आनंदी नगर , साँवरिया नगर के रहवासियों का निकलने का आम रास्ता हैं , इसी सार्वजनिक रास्ते से महिलाये बच्चें ओर आम जनता का आना जाना रहता हैं , लेकिन वहाँ के बड़े बंगले वालो को इन गरीबों का उस सड़क से निकलना अच्छा नहीं लगता इसी कारण उन्होंने सड़क के बीचों बीच 5 लोहे के गेट लगा दिए और बस्ती वालो का रास्ता बंद कर दिया।
इस मामले को लेकर कई बार बस्ती के लोगो ने क्षेत्रीय पार्षद संजय कटारिया और विधायक महेंद्र हार्डिया से शिकायत भी की लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं कि गयी मात्र आश्वासन देकर मामला ठंडा कर दिया गया।
एक बार बस्ती वालो ने फिर आवाज़ उठाने का मन बनाया हैं। जय भीम युवा संगठन के अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल रोकड़े द्वारा इस विषय मे 23 जुलाई को एक शिकायती आवेदन खजराना थाना प्रभारी को दिया है जिसमे सार्वजनिक मार्ग पर इन अवैध गेट को हटाने की माँग की गई है , साथ ही निर्मल रोकड़े का यह भी कहना है कि यदि इस प्रकार का भेदभाव बरकरार रहा तो हमें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा और इसका जिम्मेदार इंदौर प्रशासन होगा।