इंदौर शहर में एक बार फिर ठेला फुटपाथ दुकानदारों का संघर्ष शुरू हो चुका हैं। इंदौर नगर निगम अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह द्वारा दिये गए आदेश पर ये कार्यवाही की जा रही है। निगम अपने पूरे अमले को लेकर ठेले वालो पर शिकंजा कसने की तैयारी कर चुका हैं।
इंदौर शहर में 40 हज़ार से ज़्यादा ठेला फुटपाथ दुकानदार अपना काम ठेलो के माध्यम से करते हैं, लेकिन आये दिन नगर निगम का अमला कभी अवैध उगाई के नाम पर कभी यातयात व्यवस्था के नाम पर ठेले व्यवसायियों को परेशान करता हैं , जबकि ठेले वालो के पास एक मजबूत केंद्रीय कानून मौजूद है , लेकिन इंदौर प्रशासन अब कानून की धज्जियां उड़ाने में महारत हासिल कर चुका है।
इंदौर नगर निगम पूरी बर्बरता के साथ क़ानूनी ओर मानवीय पहलुओ को नज़रअंदाज करके इस गैरकानूनी कार्यवाही को अंजाम देने में लगा हुआ हैं। जिससे ठेला व्यवसायियो के व्यापार का बड़े पैमाने पर नुक़सान हो रहा हैं।
पथ विक्रेता अधिनियम 2014 व मध्यप्रदेश पथ विक्रेता अधिनियम 2017 में साफ तौर पर ठेले फुटपाथ दुकानदारों का डिजिटल सर्वे , लाइसेंस व जगह देने की बात कही गयी है , इसके अलावा भी सामान की जब्ती किस प्रकार की जाना है यह सारे नियम इस अधिनियम में लिखे हुए है, लेकिन इंदौर नगर निगम एक भी नियम का पालन करते हुए नहीं दिख रही है।
22 जुलाई को इंदौर शहर में निगम द्वारा बड़े पैमाने पर ठेले फुटपाथ व्यवसायियो पर कार्यवाही की गई जिसमें मालवा मिल , पिपलिहाना , कनाड़िया रोड , राजबाड़ा , मूसाखेड़ी में ठेले वालो के सामान को सड़कों पर फेंक कर ठेले जब्ती किये गए हैं।
इंदौर में निगम की इस कार्यवाही पर ठेले फुटपाथ व्यवसायियो में काफ़ी आक्रोश है , बुधवार को कई जगहों पर निगम व ठेले वालो के बीच मे विवाद की स्थिति बन गयी थी , लेकिन निगम कर्मचारी आयुक्त का आदेश पालन करते नज़र आये। वही ठेले वालो ने भी यह कहा है कि यदि ये कार्यवाही नहीं रोकी गयी तो शहर में उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।