भारत मे असंगठित व्यापार में सबसे बड़ी संख्या फुटपाथ / सड़को पर काम करने वाले फुटपाथ दुकानदारों की है , जो देशभर में लगभग 4 करोड़ से अधिक है। यह असंगठित व्यवसाय सदियों से भारत के व्यापार का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा हैं , जो पुराने समय मे हाट बाज़ारो के रूप में दिखाई पड़ता था , और आज भी कई हिस्सों में परंपरागत रूप से संचालित किया जाता है।
यदि सही मायनों में देखा जाए तो यह फुटपाथ दुकानदार उत्पादक व उपभोक्ता के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी होते है, जो शहरों तथा गाँवो तक जीवन उपयोगी वस्तुओं की पूर्ति का कार्य दिन प्रतिदिन करते हैं। देश भर में फुटपाथ दुकानदारों का 8 हज़ार करोड़ का प्रतिदिन का व्यापार भी इस बात को सिद्ध करता है , कि यह असंगठित व्यवसायी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
नेशनल हॉकर्स फेडरेशन देश मे राष्ट्रीय स्तर का ऐसा संगठन हैं जो संपूर्ण देश के 30 राज्यों तक फैला हुआ है। प्रत्येक राज्य इकाईयाँ अपने राज्यों में फुटपाथ दुकानदारों की समस्याओं को उठाती हैं , इसके बीच जागरूकता के विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित करने का कार्य करती हैं।
पथ विक्रेता अधिनियम 2014 का केंद्रीय क़ानून जिसमें विस्तारपूर्वक फुटपाथ दुकानदारों के अधिकारों को सुनिश्चित किया गया है , इस अधिनियम के निर्माण में नेशनल हॉकर फेडरेशन ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। फुटपाथ दुकानदारों के पक्ष में संसद द्वारा पारित पथ विक्रेता अधिनियम (आजीविका का संरक्षण) 2014 , आज फुटपाथ दुकानदारों के पास एक मजबूत हथियार के रूप में मौजूद है।
शक्तिमान घोष का मजबूत नेतृत्व और संघर्ष की ताक़त।
फुटपाथ दुकानदारों के आंदोलन की शुरुआत 50 साल पहले संघर्ष की भूमि बंगाल के शहर कलकत्ता से हुई , और कठिनाईयों से भरे संघर्षों के बाद इस राष्ट्रव्यापी संगठन की नींव रखी गयी।
कलकत्ता शहर का वह वर्ष 1996 जब तत्कालीन वामपंथी सरकार ने यह ऐलान कर दिया कि कलकत्ता की सड़कों से फुटपाथ दुकानदारों को हटाया जाएगा , जिसका नाम सरकार ने ऑपरेशन सन शाइन दिया और बर्बर कार्यवाही शुरू कर दी। उस साल उन्ही दिनों 8 लोगो ने इस कारण आत्महत्या कर ली थी। इतनी गंभीर परिस्थिति में संघर्ष के अलावा कोई रास्ता शक्तिमान घोष के पास नहीं था। उन्होंने ऐलान कर दिया कि फुटपाथ दुकानदार अपने हक़ की जमीन से एक इंच पीछे नहीं हटेगा और ज़मीनी लड़ाई लड़ेगा।
साल 1996 में कलकत्ता शहर इस बात का गवाह बना कि फुटपाथ दुकानदारों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर शक्तिमान घोष के नेतृत्व में लाखों लाख आदमी औरत सड़को पर लामबंद हो गए । भयंकर लाठीचार्ज , फायरिंग , आंसूगैस और गिरफ्तारियों के बावजूद संघर्ष सड़को पर चलता रहा और शक्तिमान घोष इस आंदोलन का मज़बूती से नेतृत्व करते रहे , आख़िरकार सरकार को इस आंदोलन के सामने झुकना पड़ा था और आंदोलनकारियों की मांगों को मानना पड़ा था।
आज इस आंदोलन को पूरे 50 वर्ष होने आए है , और आज भी नेशनल हॉकर्स फेडरेशन नई ऊंचाइयों को छूने का कार्य कर रहा हैं। 30 प्रदेशों में अपना कार्य का विस्तार कर वह समाज के दबे कुचले व प्रताड़ित फुटपाथ दुकानदारों की आवाज़ बनकर उभरा हैं। नेशनल हॉकर फेडरेशन द्वारा अलग से एक महिला हॉकर फेडरेशन का गठन भी किया गया है , जिसका नेतृत्व अनीता दास करती हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री अशोक गांगुली कार्यक्रम में शामिल हुए।
नेशनल हॉकर फेडरेशन के इस आंदोलन को 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर 26 फ़रवरी से 1 मार्च तक जश्न मनाया गया । जिसमें पूरे देश से हॉकर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।